डंडासुर : कभी डंडे खाते थे,
फिर डंडा चला चलाकर डंडासुर बने हैं।
अंडासुर : कभी अंडे मिलते थे,
आजकल अंडों के मालिक बनकर गुरू बनने लगे।
वैसे असुर और भी हैं,
और इति आज का काल युग।
आगे क्या होगी असुर संहार कथा? IPYadav
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