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Friday 27 December 2019

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Here's the copy of my comments:
"जहाँ तक राजमाता का प्रशन है तो राजमाता तो होती ही है राजभक्ति मनाने के लिए और बहुत सी अर्धपागल - पूर्णपागल भाई-बहन की जोडियाँ अंधकारमयी वर्षों में धक्के खाती, उटपटांग बोलती फिरीं। पूरे भारतवर्ष का शोषण हुआ और सभी मूलतः भारतीय उल्लुओं की तरह लीक के फकीर चलते रहे।
   आप जन-जाग्रति हो रही है, तो आप कहाँ है? क्या आप भारतवर्ष के राजाओं से राजभक्ति नहीं करते? क्या आप नहीं पूछना चाहते की आपके राजा कहाँ हैं? क्या आप नहीं पूछना चाहते की भारत के राजा कहाँ हैं?
   यदि आपके घर पर या आपके हक पर कोई और कब्जा करे या पॉलिटिक्स करके बढिया घर बनाए या बढिया काम करे तो क्या आप उसकी तारीफ करके उसका पक्ष लेंगे?
    क्या किसी ने व्यर्थ कहा है कि पराधीन सपनेहु सुख नाही? जब भारतीयों को स्वराज मिलने की  बात है तो आप कहाँ हैं? क्या आप मूलतः भारतीय नहीं हैं? या फिर अन्धकार वर्षों में अपनी राजभक्ति बदल ली या फिर राजधर्म को कुचल कर भारत में राज करते रहने की नीयत _ _ _ _ _ _ _ ।    IPYadav"

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